
मोतियाबिंद - कारण, लक्षण, उपचार एवं ऑपरेशन की संपूर्ण जानकारी
उम्र का बढ़ना, मोटापा, डायबिटीज, आनुवांशिक, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन, धुम्रपान, मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तदाब, आंखों में चोट लगना या सूजन, आंखों पर देर तक सूरज की रोशनी पड़ना, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के संपर्क में आना, आंखों की सर्जरी, कार्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल
- दृष्टि में धुंधलापन या दोहरी दृष्टि
- निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी
- दिन के समय आंखे चौंधियाना
- रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना
- चश्मे के नंबर में बदलाव आना
- रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव हो जाना
- आंखों की नियमित जांच चालीस वर्ष होने के बाद।
- जब भी बाहर धूप में निकलें तब सनग्लासेस जरूर लगाएं, जिससे अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों तक नहीं पहुंचेगी।
- मधुमेह या दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने पर मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं।
- अपने वजन को नियंत्रण में रखें।
- एंटी-ऑक्सीडेंट्स युक्त फलों और हरे सब्जियों का सेवन करें।
- शराब और धुम्रपान का सेवन नही करना है।
बिना ऑपरेशन के सफ़ेद मोतियाबिंद (Cataract) का उपचार कैसे करें?
सफ़ेद मोतियाबिंद को जड़ से मिटाने के लिए एकमात्र इलाज इसका ऑपरेशन है। बिना ऑपरेशन के अभी सफ़ेद मोतियाबिंद का उपचार संभव नहीं है।
सबसे पहले आंख को सुन्न कर दिया जाता है इसके लिए आंख के बगल में एक इंजेक्शन लगाते हैं या ड्रॉप डालकर भी सुन्न किया जाता है। डॉक्टर एक विशेष माइक्रोस्कोप की मदद से देखते हुए कॉर्निया के कोने में लेजर या ब्लेड की मदद से चीरा लगाते हैं और मोतियाबिंद के लेंस को तोड़कर निकाल लिया जाता है फिर इसके बाद इंट्राऑक्युलर लेंस फिट कर दिया जाता है। ऑपरेशन होने के १५ – ३० मिनट मरीज अपने घर जा सकता है।
मरीज को हॉस्पिटल से घर पहुंचने के दो से तीन घंटे बाद अपने आंखों पर लगी पट्टी को निकाल देना है फिर हर घंटे मतलब कुल 6 बार एंटीबायोटिक ड्रॉप को आंखों में डालना है साथ ही साथ टॉपिकल स्टेरॉइड ड्रॉप्स को भी हर 2 घंटे में डालना होता है और मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करते समय एक स्टराइल आई पैच मिलता है, जिसे सर्जरी के पहली रात को आंखों में पहनकर सोना है।
- मरीज को अपने आई ड्रॉप्स को रोजाना अपनी आँख में डालें
- नहाते समय पानी, साबुन आदि को आंखों में जाने से बचना चाहिए
- नहाते समय या सोते समय अपनी आंखों में सुरक्षा कवच लगाकर ही सोना है
- ना तो पानी में स्विमिंग नही करना है और ना ही आंखों पर मेकअप जैसी चीजें लगाएं
- मरीज को ज्यादा मेहनत वाले काम को करने से बचना चाहिए ।
- डॉक्टर से बिना पूछे वाहन न चलाएं और ना ही हवाई यात्रा करें
- आँखों की सर्जरी के बाद बिलकुल ना झुकें क्योंकि ऐसा करने से आंखों पर असर पड़ता है।
- आंखों को धूप से बचाने के लिए धूप के चश्मों का इस्तेमाल करना चाहिए
- स्मोकिंग करना छोड़ दें, स्मोकिंग करने से आपकी आंखों पर असर पड़ता है।
- अधिक टीवी न देखें और कंप्यूटर स्क्रीन या मोबाइल स्क्रीन पर न के बराबर समय दें।
- मरीज को आंखों को रगड़ने या दबाने की कोशिश बिलकुल भी नही करना चाहिए ।
जब मोतियाबिंद कीपहली सर्जरी के बाद कभी कभी किसी मरीज में पोस्टेरियर कैप्सूलर ओपेसिफिकेशन की समस्या हो जाती है। इसीको सेकेंडरी मोतियाबिंद कहते हैं। इसमें मरीज का इंट्राऑक्युलर लेंस भी धुंधला या झुर्रीदार हो जाता है, जिस कारण दृष्टि फिर से धुंधली हो जाती है। सेकेंडरी मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए पोस्टेरियर कैप्सुलोटॉमी का प्रयोग किया जाता है जो एक प्रकार की लेजर सर्जरी है, जिसमें सिर्फ 5 मिनट में आपकी सर्जरी पूरी हो जाती है।