Papayur Tablet

Main Ingredients:

Carica Papaya Leaf Extract

पपीते की पत्तियों में सक्रिय घटक जैसे एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड, टैनिन, सैपोनिन और फ्लेवोनोइड होते हैं, जो अपने चिकित्सीय गुण जैसे जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीट्यूमर, हाइपोग्लाइकेमिक, एंटी-फर्टिलिटी, कवकनाशी, कार्मिनेटिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी के लिए महत्वपूर्ण हैं। पपीते की पत्तियों का अर्क अब व्यापक रूप से डेंगू बुखार, मलेरिया, बेरीबेरी, हार्ट टॉनिक, ज्वरनाशक, वर्मीफ्यूज, पेट का दर्द, गर्भपात, अस्थमा, पेट की परेशानी, मूत्रवर्धक, कफ निकालने वाला, रक्तस्रावी बवासीर और अपच, साइनस, सोरायसिस और लीवर की सूजन के इलाज के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है साथ ही साथ यह पीलिया, स्वरयंत्रशोथ, खांसी, स्वर बैठना, ब्रोंकाइटिस, रक्तचाप, और मधुमेह को भी नियंत्रित करता है।

Medicines for Increasing Platelet Count | प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए दवाएँ

प्लेटलेट्स क्या हैं?

हमारे शरीर के खून में चार  के घटक  होते हैं जो हैं  लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं ,प्लेटलेट्स और  प्लाज्मा। प्लाज्मा में , लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स तैरते रहते हैं। प्लेटलेट्स को थ्रोम्बोसाइट्स कहते हैं। अगर कहीं चोट लग जाये तो ये खून का थक्का बनाकर खून को बहने से रोकती हैं।

प्लेटलेट्स की कमी | थ्रोम्बोसाइटोपेनिया क्या है?

शरीर में नार्मल प्लेटलेट्स से कम प्लेटलेट्स हो जाने पर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की स्थिति उत्पन्न होती है।

एक व्यक्ति में कितना प्लेटलेट्स होना चाहिए ?

150,000 to 450,000 platelets Per microliter of blood. यदि प्लेटलेट्स 50 हजार से कम हो जाएं तो कोई चिंता की बात नहीं लेकिन अगर इससे भी कम हो जाये जैसे 10000 – 20000 की संख्या रहे तो यह स्थिति इमरजेंसी की हो जाती है। ऐसे में मरीज को तुरन्त सहायता की जरूरत हो जाती है।

प्लेटलेट्स क्यों कम हो जाते हैं ?

शरीर में प्लेटलेट्स कम होने के पीछे कई  कारण  हो सकते हैं। प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में बनते हैं इसलिए अस्थि मजा में अगर कोई समस्या हो तो प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, पेनकिलर्स या एल्कोहॉल के नियमित सेवन, कीमोथेरेपी, आनुवंशिक रोग, हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम, हाइपरसप्लेनिज्म,स्वप्रतिरक्षित रोग, डेंगू, टाइफाइड, मलेरिया या चिकनगुनिया होने पर ब्लड में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं। इडियोपैथिक थोम्बोसाइटोपीनिया की वजह से ब्लड में प्लेटलेट्स  कम होने लगते हैं। इंफेक्शन को ठीक करने वाली और खून को पतला करने वाली दवाएं भी प्लेटलेट्स  कम करने लगती हैं।

प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण?

कमजोरी हो जाना, दांतों और मसूड़ों से खून निकलने लगना, गहरे लाल रंग की खून की उल्टी का होना, शरीर पर लाल, भूरे व जामुनी रंग के निशानों का उत्पन्न होना, नसों  का स्किन के ऊपर दिखने लग जाना, नाक से खून निकलना, पेशाब से खून निकलना, मल में खून आना, प्लीहा  का साइज बढ़ जाना, मासिक धर्म में बहुत ज्यादा खून निकलना, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द बने रहना, सिरदर्द व तंत्रिका संबंधी समस्या का महसूस होना।

प्लेटलेट्स कम होने पर शरीर में क्या नुकसान हो सकते हैं?

प्लेटलेट्स मुख्य रूप से चोट लग जाने पर खून के जमने की प्रक्रिया को तेज़ करके ब्लीडिंग को रोकना होता है। अगर प्लेटलेट्स कम हो जायेंगे ब्लीडिंग की आशंका बढ़ जाती है, ब्लीडिंग होने पर खून नाक या त्वचा से बाहर आने लगता है और यदि यह स्राव अंदर ही अंदर होता रहे  तो शरीर की  किडनी, लिवर और फेफड़े के निष्क्रिय होने की आशंका बढ़ जाती जिससे रोगी का जीवन खतरे में आ सकता है।

प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन इंडिकेशन क्या है ?

चिकित्सा विज्ञान में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन के लिए इंडिकेशन कुछ इस तरह से दी गये हैं। यदि प्लेटलेट काउंट 10000 से नीचे आगया  हो तब, और 5000 के बाद तो प्लेटलेट्स जरूर दें। यदि प्लेटलेट काउंट पहले की तुलना में 50 % से कम है तो सावधानी बरते और अलर्ट मोड में रहें और अगर  प्लेटलेट काउंट और भी नीचे आ जाता है तो हमें और प्लेटलेट्स देने पड़ सकती हैं।

मरीज को प्लेटलेट्स कैसे चढ़ाते हैं?

मरीज को दो प्रकार से प्लेटलेट्स चढाते हैं एक तो सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी )द्वारा और दूसरा रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) द्वारा।

सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) क्या है ?

इसमें एक मशीन के माध्यम से डोनर से रक्त लिया जाता है और उसमें से प्लेटलेट्स निकाल ली जाती है। सिंगल डोनर प्लेटलेट्स थोडा महंगा होता है लेकिन सिंगल डोनरके माध्यम से ली गयी प्लेटलेट्स ही ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि इसमे ब्लड ग्रुप्स के खिलाफ एंटी बॉडीज नही बनती। इसमे डोनर को प्लेटलेट देने से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती, अगर डोनर किसी को प्लेटलेट्स देता है तो 7 दिनों में ही नई प्लेटलेट्स फिर से वापस बन जाती है।

रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) क्या है?

यह प्लेटलेट्स का एक छोटा पाउच होता है। इसमें में किसी डोनर की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि  ब्लड बैंक में मौजूद रक्त से प्लेटलेट्स निकाल लिया जाता है और ये सस्ता पड़ता है। लेकिन रैंडम डोनर के माध्यम से ली गयी प्लेटलेट्स ज्यादा सुरक्षित नहीं हैक्योंकि रैंडम डोनर वाला प्लेटलेट अलग-अलग ब्लड ग्रुप के लोगों का होता है, जिस कारण रोगी के शरीर में धीरे-धीरे उन ब्लड ग्रुप्स के खिलाफ बनी एंटी बॉडीज भविष्य में प्लेटलेट्स देने पर उन्हें नष्ट कर सकती हैं।

प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

एलोवेरा का रस, गिलोय का काढ़ा, पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध और हरी ताज़ी  सब्जियों के साथ मौसमी फल जैसे कीवी, आंवला, चीकू, काजू, ब्रॉक्ली और खट्टे फलों का सेवन करने से प्लेटलेट्स बढ़ जाते हैं।